निगाहें बेरुखी से भरी लफ़्ज ख़ामोश रहे पर जाते वक्त भी ख़ुशी बिखेर चले जायेंगे। निगाहें बेरुखी से भरी लफ़्ज ख़ामोश रहे पर जाते वक्त भी ख़ुशी बिखेर चले जायेंगे।
सिसकती मानवता, क्यों कम, आंख का पानी है? सिसकती मानवता, क्यों कम, आंख का पानी है?
ये कैसा हज और कैसी नमाज है जो दर्द ना समझें किसी गरीब का ये कैसा हज और कैसी नमाज है जो दर्द ना समझें किसी गरीब का
वो बहकने की उम्र है, पर संभलने का इरादा भी दिल में रखते थे वो बहकने की उम्र है, पर संभलने का इरादा भी दिल में रखते थे
गुनहगार समझकर पूरी कौम को डाल दिया हाशिये पर गुनहगार समझकर पूरी कौम को डाल दिया हाशिये पर
ख्वाहिशें मेरी भी, बेकसूर हैं, कोई सुन न सके, दिल की ज़ुबान, ख्वाहिशें मेरी भी, बेकसूर हैं, कोई सुन न सके, दिल की ज़ुबान,