हर हाल में हिम्मत से कदम बढ़ाओगे छू लेगें कदम मेरी उचाँइयाँ हर हाल में हिम्मत से कदम बढ़ाओगे छू लेगें कदम मेरी उचाँइयाँ
कभी मां,कभी चाचा कभी दादा सभी रिश्तों की डोर संभाले हैं पिता,भटका जो कोई राह से... कभी मां,कभी चाचा कभी दादा सभी रिश्तों की डोर संभाले हैं पिता,भटका जो कोई ...
जाय क्षितिज को चीर। जाय क्षितिज को चीर।
ईश्वर की अनमोल कृति को सवारे जा रही हूं क्योंकि अब मैं लेखिका बनती जा रही हूं। ईश्वर की अनमोल कृति को सवारे जा रही हूं क्योंकि अब मैं लेखिका बनती जा रही हू...
नए सपनों का तानाबाना बुन लेती है स्त्री। नए सपनों का तानाबाना बुन लेती है स्त्री।
अगर मैं बड़े भाई को नहीं करता फोन, तो शायद पिताजी का जीना हो जाता मुश्किल। अगर मैं बड़े भाई को नहीं करता फोन, तो शायद पिताजी का जीना हो जाता मुश्किल।