स्व की इच्छा करूँ इतनी इज़्ज़त नहीं है मुझे तो क्या करूँ इसी असमंजस में हूँ हाँ मैं औरत हूँ स्व की इच्छा करूँ इतनी इज़्ज़त नहीं है मुझे तो क्या करूँ इसी असमंजस में हूँ ह...
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अगर मैं बड़े भाई को नहीं करता फोन, तो शायद पिताजी का जीना हो जाता मुश्किल। अगर मैं बड़े भाई को नहीं करता फोन, तो शायद पिताजी का जीना हो जाता मुश्किल।
अब बस करो भाई रूख्सती की घड़ी बीतती जाई। अब बस करो भाई रूख्सती की घड़ी बीतती जाई।
लिक से हैट कर जब कोई चाहें कि सब उसके सोचने भर से हो ,रात -दिन भी और मौसम का बदलना भी ,और इसके लिए... लिक से हैट कर जब कोई चाहें कि सब उसके सोचने भर से हो ,रात -दिन भी और मौसम का ब...
सुलझा सुलझा सा जो रहता था कभी अब असमंजस सा हो जाता है प्रेम... सुलझा सुलझा सा जो रहता था कभी अब असमंजस सा हो जाता है प्रेम...