रूख्सती
रूख्सती
बहुत रौब जमाता था,
चिढ़ाता था
नहीं रोऊँगा
तेरी रूख्सती पर।
समय आया
तो नज़रे न मिला पाया
मुँह छुपा खूब रोया
दुल्हन को छोड़
सब उसे चुप करा रहे
दुल्हन का भाई है
सब चिल्ला रहे।
ऐसी रूख्सती
न देखी पहले कभी
बहन भी भाई को
चुप करा रही थी
उससे ज्यादा
खुद रो रही थी।
अजीब सी हो गई
सबकी हालत
दोनों बहन भाई
एक दूसरे को
समझा रहे
चुप हो जा
बस कहे जा रहे।
दुल्हा बेचारा
समझ न पा रहा
असमंजस सा बस
तके जा रहा
बोला- साले साहब
अब बस करो भाई
रूख्सती की घड़ी
बीतती जाई।