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Anil Jaswal

Tragedy

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Anil Jaswal

Tragedy

समझदारी दिखाई

समझदारी दिखाई

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एक बार की बात,

मैं और मेरे पिताजी,

निकले स्कूटर पे,

कहीं जाने को,

मौसम भी था‌ खराब,

थोड़ी थोड़ी बारिश भी हो रही थी,


स्कूटर की गति भी तेज़ न थी,

अचानक पीछे से किसी ने दे मारा,

स्कूटर गिर गया एक तरफ,

और हम दोनों दूसरी तरफ,

दोनों खो बैठे होश,

अचानक मुझे थोड़ी सी आई होश,


मैं उठा,

स्कूटर को करने लगा लॉक,

किंतु जैसे शरीर में नहीं रही ताकत,

मैं असमर्थ था करने में लॉक,

फिर किसी ने पुकारा,


बोला ! तुम दोनों को लगी है गहरी चोट,

आओ चलें अस्पताल,

उसने हम दोनों को उठाया,

और गाड़ी में डाला,

अस्पताल पहुँचाया।


फिर हमें मिली प्रारम्भिक चिकित्सा,

मैंने देखा,

मेरा हो गया बचाब,

किंतु पिताजी का था बुरा हाल,


तुरंत डाक्टर बोला,

इनको किसी बड़े अस्पताल,

ले जाओ,

इनकी हालत है गंभीर,

मैं पड़ा असमंजस में,

कुछ दिमाग न काम करे,

मैं इनको कहां ले जाऊं,


साधन भी इतने कहां से लाऊं,

फिर थोड़ा सा दिमाग ने काम किया,

बड़े भाई को मोबाइल लगाया,

उसको सारा मामला समझाया,


उसने बोला,

वहीं रूक,

पहुँच रहा हूं तुरंत,

फिर वो आया,

और पिताजी को एक अच्छे

अस्पताल दाखिल करवाया।


अगर मैं बड़े भाई को नहीं करता फोन,

तो शायद पिताजी का जीना हो जाता मुश्किल।


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