हाँ,मैं औरत हूँ
हाँ,मैं औरत हूँ
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हाँ मैं औरत हूँ
रोऊ या इस पर घमंड करूँ
इसी असमंजस में हूँ
हाँ मैं औरत हूँ
इतिहास की बातें करूँ इतनी फुर्सत नहीं हैं मुझे
वर्तमान की शिकायत करूँ इतनी आज़ादी नहीं है मुझे
जो मिला जैसा भी मिला बस बटोर लिया
स्व की इच्छा करूँ इतनी इज़्ज़त नहीं है मुझे
तो क्या करूँ
इसी असमंजस में हूँ
हाँ मैं औरत हूँ
तुम भी ठुकरा कर चल दो
इसी के काबिल हूँ मैं
सबको जीवन दिया,पर
खुद की ही कातिल हूँ मैं
तो क्या करूँ
इसी असमंजस में हूँ
हाँ मैं एक औरत ही हूँ।
