कैसी तेरी ममता
कैसी तेरी ममता
कैसी तेरी ममता
तेरी मां बनने की एक कोशिश
तुझे ममत्व के कितने करीब ले आती
तुझे ज़मीन से उठा कर असमां पर
बिठा देती
तो क्या हुआ अगर तुमने उसे
अपनी कोख से नहीं जना
नहीं झेला वो दर्द जो ममता से सराबोर
एक औरत को भगवान बना देता है
और देखती तो वो तेरी तरफ बच्चे
की ललचाई नज़रों से ही है
बस तेरा प्यार भरा एक स्पर्श जिसके लिए
वो बढ़ बढ़कर तेरे आगे पीछे घूमती है
ये जो तू अपने बच्चो को इतने प्यार से
खिलाती है, निहारती है और चिंता जताती है
क्या उसका एक कतरा भी तू
मां होने के नाते ही सही
उसपर नहीं उड़ेल सकती ?
माना तेरे बच्चे तुझे महल, पैसे, अटारी देंगे
पर वो जो भर भर के काव्य रचती है
ममत्व वाली पंक्तियां गढ़ती है
वो तो 'मां' तेरे लिय ही है
माना तू बांझ नहीं, तेरी कोख हरी - भरी है
पर देख तेरे प्रेम की आस में वो अनाथ ही रह गई
ये कैसा तेरा दोहरा चरित्र है
जो तुझे मां नहीं, औरत नहीं
इंसान होने पर भी सवाल उठाता है
पर भाईसाब सुना है ये कलयुग है
और कलयुग में तो सब चलता है।