आशाएं
आशाएं


छोटी छोटी आशाएं,
कभी लहरों सी चंचल है,
तो कभी शांत
नदी सी गंभीर।
उसकी आंखों में
कई ख़ूबसूरत सपने हैं।
कभी कोई दरक भी जाएं
क्या नई उम्मीदें,
नए सपनों का
तानाबाना बुन लेती है स्त्री।
छोटी छोटी आशाएं,
कभी लहरों सी चंचल है,
तो कभी शांत
नदी सी गंभीर।
उसकी आंखों में
कई ख़ूबसूरत सपने हैं।
कभी कोई दरक भी जाएं
क्या नई उम्मीदें,
नए सपनों का
तानाबाना बुन लेती है स्त्री।