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Sajida Akram

Children Stories

3  

Sajida Akram

Children Stories

ख़्यालों

ख़्यालों

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आज फिर खोई थी ख़्यालों में,

चुपके से यादों के झरोखों से।


मुझे बुला लिया बचपन की,

अनगिनत यादों ने बाबा की,


बांहों के झुले में झुला दिया,

अम्मा के आंचल में छुपा दिया।


अम्मा की मीठी लोरी ने सपनों,

में सुला दिया 


भैया से प्यारी तकरार।

को स्मृति में जगा दिया।


ये किस ने मेरे ख़्यालों को चुरा लिया,

आज फिर मैं खोई थी ख़्यालों में,


अपने छोटे भाई को सताने 

के क्या-क्या जुगत ना की 


मैं भी नन्हीं सी बच्ची थी 

आज फिर मैं खोई थी ख़्यालों में।


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