सरहद की रेखाओं जैसी आड़ी-टेढ़ी कई रेखाओं से बोझिल, निस्तेज और ओजहीन ! सरहद की रेखाओं जैसी आड़ी-टेढ़ी कई रेखाओं से बोझिल, निस्तेज और ओजहीन !
मेरी अम्मी के चेहेरे पे मुस्कान लिख दे, ना रहे उनकी ज़िन्दगी में कभी गम, मेरी अम्मी के चेहेरे पे मुस्कान लिख दे, ना रहे उनकी ज़िन्दगी में कभी गम,
माँ-बाप की भावनाएं... माँ-बाप की भावनाएं...
आज फिर खोई थी ख़्यालों में, चुपके से यादों के झरोखों से। आज फिर खोई थी ख़्यालों में, चुपके से यादों के झरोखों से।