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Sajida Akram

Classics

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Sajida Akram

Classics

"ओंस"

"ओंस"

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कंटीली झाड़ियों पर ठहरी हुई

बूंदों ने बस यही बताया है

पत्तियों ने छोड़ा साथ तो क्या ? 


क़ुदरत ने तुझे मोतीयों से सजाया है

मोतियों की शबनमी बूंदों पर, 

जब पड़ी सूरज की पहली किरण 

तो लगा क़ुदरत ने हीरों से सजा दिया है


आज कंटीली झाड़ियाँ भी इठला कर 

अपनी क़िस्मत पर नाज़ कर रही है

ये मंज़र भी यूँ आंखों को भा गया है


जब देखा ये नज़ारा तो बेसाख़्ता 

क़ुदरत की हसीन कारीगरी पर 

 सिर अदब से झुक गया है

कंटीली झाड़ियों पर ठहरी हुई, 


बूंदों ने बस यही बताया है

पत्तियों ने छोड़ा साथ तो क्या

क़ुदरत ने तुझे मोतियों से सजाया है।


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