मैं बेहद सादा मिज़ाज की हूँ ,मेरे कुछ ऑर्टिकल ,कविता न्यूज पेपर "दैनिक भास्कर में छपे # रंग- बिरंगी छटा है हर दिशा में, होरी में भीगी चुनरियां, राधा संग खेलत है कान्हा होरी ** होली की मुबारकां आप सब को** साजिदा अकरम
हौसला उज्वल धवल सा स्वरूप है मेरा , लक्ष्य को पाने की ठानी है,आज। हौसला उज्वल धवल सा स्वरूप है मेरा , लक्ष्य को पाने की ठानी है,आज।
ज़िन्दगी ने दिये इतने ज़ख़्म की एक भरता नहीं ,दूसरा लग जाता है । ज़िन्दगी ने दिये इतने ज़ख़्म की एक भरता नहीं ,दूसरा लग जाता है ।
आज फिर खोई थी ख़्यालों में, चुपके से यादों के झरोखों से। आज फिर खोई थी ख़्यालों में, चुपके से यादों के झरोखों से।
“सांझ ढ़ले” तुम लौट आना, “ऐ नन्हीं चिड़िया “……..! “सांझ ढ़ले” तुम लौट आना, “ऐ नन्हीं चिड़िया “……..!
धूनकी-धूनकी लागें रे, धूनकी-धूनकी लागें रे ओ फ़क़ीरा,ओ फ़क़ीरा ! धूनकी-धूनकी लागें रे, धूनकी-धूनकी लागें रे ओ फ़क़ीरा,ओ फ़क़ीरा !
पत्तियों ने छोड़ा साथ तो क्या क़ुदरत ने तुझे मोतियों से सजाया है। पत्तियों ने छोड़ा साथ तो क्या क़ुदरत ने तुझे मोतियों से सजाया है।
सहेज ली है उन सुर्ख गुलाब को अपनी हमसफ़र डायरी में सहेज ली है उन सुर्ख गुलाब को अपनी हमसफ़र डायरी में
अभी तो हम संवरने लगे थे बिछुड़ने का डर सताने लगा है। अभी तो हम संवरने लगे थे बिछुड़ने का डर सताने लगा है।
सुर्ख जोड़ा पहने .. पिया संग जाने को तैयार है। सुर्ख जोड़ा पहने .. पिया संग जाने को तैयार है।
चांद- सूरज की खूबसूरती भी हमारी बूढ़ी आंखें आंक नहीं पाती हैं। चांद- सूरज की खूबसूरती भी हमारी बूढ़ी आंखें आंक नहीं पाती हैं।