जाने क्यों बदलती जा रही हूं
जाने क्यों बदलती जा रही हूं
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जाने क्यों मैं बदलती जा रही हूं
हर बात को अब मैं लिखे जा रही हूं
गंभीर रहने वाली बात बात में
उछलती जा रही हूं।
कभी नाचती, कभी गाती
जाने क्यों बदलती जा रही हूं
अपनों को स्वीकारती और
परायों को अपना मानती।
खुश रहती दूसरों के दुख दर्द दूर करती
जिम्मेदारियों को खुशी से निभाए जा रही हूं
जाने क्यों मैं बदलती जा रही हूं
शायद लेखिका बनती जा रही हूं।
ईश्वर की अनमोल कृति को सवारे जा रही हूं
क्योंकि अब मैं लेखिका बनती जा रही हूं।
