नीलाभ तुम्हारा संदेश
नीलाभ तुम्हारा संदेश
जीवन के रंगों पर
छेड़ते हो नया राग
हर दिल की सुनते हो
जैसे बजाते हो कोई साज।
हो लिखी जीवन की
नयी कविता के साक्षी
गुनगुनाते हो खुशी देख
गाते हो हरदम गीत।
हर मौसम में
,हर पर्व पर
चाहे छायी रहे बदली
हो चादर चाहे सुनहरी किरणों की
हो सूरज की गुलाबी आभा तुम पर।
हो चाहे फैली रात की स्याही
चाहे फैली हो चादँनी,
हो टिमटिमाते तारे
भरते है उड़ान परिन्दे
तुम्हारे आचँल में।
पपिहा की उर अन्तर दशा को,
प्यास को समझते हो
झर रहे दर्द को
भावों के दरिया को।
रहते मस्त धीर गंभीर
फैलाते हरदम खुशी के पल
हो मौन मुखरित,
तुम्हारा नीलाभ
धरा पर देता जीवन संदेश !
खुशियों को समेट कर
पलों को जी लो
क्षण भंगुर है जीवन,
है जीवन अनमोल
जिओ खुशी -खुशी !
हर हाल में हिम्मत से
कदम बढ़ाओगे
छू लेगें कदम मेरी उचाँइयाँ
