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Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021

Romance

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Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021

Romance

“ मेरे घर को सजा देना ”

“ मेरे घर को सजा देना ”

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हमेशा राह तकता हूँ कहीं से तुम चले आना !

खुशी के पल में आ के मेरे घर को सजा देना !!

हमेशा राह तकता हूँ कहीं से तुम चले आना !

खुशी के पल में आ के मेरे घर को सजा देना !!


जरा सी आहटें होती है तो ,

लगता है तुम ही आ गए !

महक उठती है धरती और ,

अम्बर पे यूँ बादल छा गए !!

जरा सी आहटें होती है तो ,

लगता है तुम ही आ गए !

महक उठती है धरती और ,

अम्बर पे यूँ बादल छा गए !!


दबे पाँवों से आकर के मेरी दुनिया बसा देना !

खुशी के पल में आ के मेरे घर को सजा देना !!

हमेशा राह तकता हूँ कहीं से तुम चले आना !

खुशी के पल में आ के मेरे घर को सजा देना !!


ना रातों में है मुझको चैन ,

ना सारा दिन ही सोता हूँ !

मेरा तुम हाल मत पूछो ,

मैं तुझे ही याद करता हूँ !!

ना रातों में है मुझको चैन ,

ना सारा दिन ही सोता हूँ !

मेरा तुम हाल मत पूछो ,

मैं तुझे ही याद करता हूँ !!


बहुत अब हो गयी दूरी इसे जल्दी मिटा देना !

खुशी के पल में आ के मेरे घर को सजा देना !!

दबे पाँवों से आकर के मेरी दुनिया बसा देना !

खुशी के पल में आ के मेरे घर को सजा देना !!

हमेशा राह तकता हूँ कहीं से तुम चले आना !

खुशी के पल में आ के मेरे घर को सजा देना !!



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