साहब प्यार है देख समझकर थोड़ी न
साहब प्यार है देख समझकर थोड़ी न
श्याम रंग ही तो था तो क्या हुआ,
प्यार तो रंग से न रूप से हुआ था,
थोड़ा वजन ज्यादा ही तो था तो क्या हुआ,
प्यार तो उसके शरीर से न वजन से हुआ था,
साहब प्यार है ये देख समझ कर थोड़ी ही न होता हैं।।
प्यार है कोई चीज़ नहीं,
जिसे देख परख कर की जाती,
उसकी आँखों मे देखा तो बस,
उसी का होकर रह गया,
प्यार था कोई व्यपार थोड़ी न था,
साहब प्यार है ये देख समझकर थोड़ी न होता हैं।।
बहुत सुना दोस्तों से परिवार से,
क्या देखा तुमने इसमे,
कैसे बताऊ सभी को,
वो देखा जो किसी ने न देखा,
रूप तो सभी देखते हैं ,
मगर दिल को किसी ने न देखा,
साहब प्यार है ये देख समझकर थोड़ी न होता हैं।।
तुझे फंसा लिया इसने,
कैसे साथ चलोगे इसके,
दुनिया की तानो को कैसे सहोगे,
क्या जवाब दु समझ नही आता,
प्यार था दुनिया मे दिखावे का सामान नहीं,
दिल से दिल का बंधन कोई शोपीस नहीं,
साहब प्यार है ये देख समझकर थोड़ी न होता हैं।।
एक उम्र में रूप तो सभी की ढल जानी है,
आज की चमकती हर चीज़ बेजान हो जानी है,
एक दिल ही हैं जो हर दिन खूबसूरत होता जाता है,
साहब प्यार है ये देख समझ कर थोड़ी न होता हैं
मेरा प्यार बस आंखों का प्यार नहीं,
दिल से दिल का गठबंधन हैं,
जो तोड़े से न टूटेगा,
जो आंखों से बहकर दिल मे उतर जाएगा,
न समय की मार न कोई दरार बन पाएगा,
क्योंकि प्यार है साहब बस दिल की दिल तक रह जायेगी।

