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Mohd Saleem

Romance

4.8  

Mohd Saleem

Romance

मेरी खामोशी

मेरी खामोशी

1 min
562


शायद तुम समझ सको मेरी खामोशी,

अनकहे लफ्जों में कहीं गई दिल की बात,

मेरा तुम्हारे प्रति ये अनकहा प्यार,

शायद तुम समझ सको मेरी खामोशी।


एक दौर था जब साथ थे हम,

मिले थे कभी जाने अनजाने हमारे कदम,

वो साथ आज याद बन कर रह गया,

नसीब के हाथों आंसू बन कर बह गया।


एक रिश्ता जो अटूट बन गया था,

तुम्हारी कस्मे वादों से पर्वत बन कर रह गया था,

मजबूरी के नाम पर जो तुमने साथ छोड़ा,

मेरा दिल वहीं एक पत्थर बन कर रह गया था।


आज भी वो जगह दिल की रहती है खाली,

शायद तुम आओ लौट कर यही पूछता है सवाली,

दुनिया की रीत भी है कितनी निराली,

आना है अकेले जाना भी हाथ खाली।


मेरे दिल में रखी एक तस्वीर की भांति,

याद है अब तुम्हारी मेरे साथ आती जाती,

बस इन्हीं लफ्जों में दिल की बात रखता हूं,

शायद तुम समझ सको मेरी खामोशी।


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