"माँ" एक एहसास
"माँ" एक एहसास
माँ शब्द का अपना ही अर्थ है,
कोख में संभाल कर,दर्द सह कर,
तकलीफ़ों से लड़कर, हर दुख से बचाकर,
एक बच्चे को जन्म देती है "माँ",
धूप से बचाकर, अपना साया बना कर,
दुनिया की बुरी नज़रों से बचाकर,
अपने आँचल में छुपाकर,
हर परेशानी से डटकर मुक़ाबला करती है "माँ",
माँ बनना ही स्वयं में एक एहसास है,
ये एहसास है एक नवजीवन का,
अपनी दबी हुई आकांक्षाओं का,
सुख दुख में जो साथ देती है वो है "माँ",
कुछ लोगों की माँ नहीं होती,
ऐसे जीते है वो जैसे जीने की चाह नहीं होती,
ईश्वर के पास रह कर भी जो देती है दुआ,
वो सिर्फ एक ही शख्स है जिसे बुलाते हैं "माँ"।
