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Mohd Saleem

Abstract

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Mohd Saleem

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अतीत के रंग

अतीत के रंग

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जीवन की राहों में, 

जलते हुए पथ पर,

अग्रसर कुछ लम्हों की यादें,

जो मिटाती है चिंता की रेखाएँ, 


हार कर ठहरे हुए कुछ अफसानों को ,

करती है बयां कुछ इस तरह,

जैसे इस जीवन का नश्वर होना तय था,

किसी व्यर्थ समय की तरह,


आज भी जिसे पाने के लिए,

बाहें फैलाती है जीवन की धारा।

आज भी जब यादों में,

अतीत की स्मृतियों में,


जब मिलते हैं कुछ लोग,

किसी अनजान लम्हे की भांति,

एक अंधेरे जीवन में,

किसी प्रकाश की लौ की तरह,


जिसके उजाले में छिपे हुए,

कई सवालों के जवाब,

जो आज भी मेरे अधूरेपन को

शायद पूर्ण करने में व्यस्त है।


समय का खेल ही कुछ ऐसा रहा,

वादों, कसमों का कोई अर्थ न रहा,

लोग अपने सिद्धान्तों पर अडिग रहे,

हम कुछ अपने उसूलों पर कायम रहे,


रिश्तों, नातों के इस दौर में,

अब केवल औपचारिकताओं

का ही वास रहा,

फिर भी वक़्त थमा नहीं,


लम्हों में कुछ बचा नहीं,

ज़रूरत किसी को कोई न रही,

शायद इसीलिए अब वो बात न रही।


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