ईश्वर जब तुम बच्चे थे
ईश्वर जब तुम बच्चे थे
ईश्वर, तब तुम
बच्चे थे
जब प्रेम वयस्क
हो चुका था
तब धरती पर
कोई युद्ध नही था
यहाँ का पानी
पारदर्शी था
तुम्हे नही चाहिए थे तब
पण्डित, मौलवी,पादरी
तब तुम खोजते थे
केवल प्रेम को,
प्रेम तुम्हारा ख्याल
रखता था
तुम खुश रहते थे
उसके साथ
बिना किसी अगरबत्ती,
मोमबत्ती,चादर के
तुम अनजान थे
पाखण्ड, ढोंग
आडंबर से,
तब तुम बच्चे थे
पर...
अब तुम बड़े हो गए हो
समझदार हो गए हो
यह दुनिया तुम
चला रहे हो
कैसे चला रहे हो ?
यह दिख रहा है,
एक सेवादार से
राजा हो गए हो तुम,
घुसे रहते हो
अपने मंदिरों में,
परवाह नही है तुम्हे
बढ़ रही चोरियों
बढ़ रहे बलात्कार
बढ़ रहे पापों को
प्रेम! वह तो अब
बूढा हो गया है,
इतना बूढा कि
चल कर आ भी
नही सकता तुम्हारे पास
विनती है मेरी तुमसे
जाकर मिलो एक बार
प्रेम से
उसी तरह , जिस तरह
तुम मिला करते थे
ईश्वर, जब तुम
बच्चे थे !!
