उड़ने दो
उड़ने दो
खुले आसमान में उड़ने दो,
हवाओं का रुख मुड़ने दो,
बहुत बंध गए जीवन की बंदिशों में,
खुद से इंसान को जुड़ने दो।
लहराती, इठलाती ये हवाएं,
फिरती है चारों दिशाएं,
वक़्त नहीं थमता कभी भी,
थमती है बस भावनाएं।
यूं न बांधो भावनाओं को,
बढ़ती हुई अपनी आकांक्षाओं को,
ये भी एक वक़्त की बात है,
न रोको कभी कामनाओ को।
आज का जीवन व्यथा है या मिथ्या,
ऊंची उड़ान न सदा है न सर्वदा,
इसी जन्म में खुद को खुद से लड़ने दो,
जीवन की उड़ान उड़ने दो।