अधूरा इश्क़
अधूरा इश्क़
मैंने तकिये के तले तेरा नाम क्या लिख दिया,
देखा मेरे सपनों ने ही मुझसे बगावत कर लिया।
एक किताब के में वो सुखी गुलाब क्या छुपा दी,
हवा का ऐसा झोंका आया कि उसे भी उड़ा ले गया।
अपने सिरहाने के तले एक तस्वीर छुपा रखी थी,
सर से छत हटा और पैरों तले जमीं खिसक गई।
पुराने संदूक में तेरी कुछ यादें क्या छुपा रखी थी,
ऐसी धूल जमी उसपर की सबकुछ मिटा गयी।
उनके दिल में एक आशियाँ क्या बना लिया मैंने,
देखा नए लोग आ गए वहाँ अपना घर बसाने के लिए।

