STORYMIRROR

Rachna Thakur

Romance

3  

Rachna Thakur

Romance

दो बिषम

दो बिषम

1 min
164

तुम पूर्णिमा के चाँद सी, मैं अँधेरी रात सा,

तुम सावन के बूंदों सी, मैं बृन्दावन बाग सा,


तुम सीप के मोती सी, मैं सागर मझधार सा,

तुम नदी के धारा सी, मैं शीतल तालाब सा।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance