शायराना अंदाज़
शायराना अंदाज़
मैंने इन पन्नों पे मोहब्बत क्या लिख दी,
फरमान जारी कर दिया, मुझे मिटाने के लिए।
महफ़िल में पूरी रात बिता दी, उनकी एक झलक को,
सारी मशालें बुझ गयी, उन्हें मुझसे छुपाने के लिए।
और बड़े मसरूफ़ हैं, वो अपनी महबूबा के बाहों में,
सुना है क़ब्र खोदा है मेरा, मुझको दफ़नाने के लिए।
महज़ एक तस्वीर बनाई थी, मैंने उस दीवार पर,
सारा जहाँ आगया, मेरी मोहब्बत आजमाने के लिए।
उन काँच की खिड़कियों पर, मैं देखता रह गया,
देखा बारिशें होने लगी, बस मुझको भिगाने के लिए।
मैंने इन पन्नों पे मोहब्बत क्या लिख दी,
फरमान जारी कर दिया हमें मिटाने के लिए।