STORYMIRROR

kalpana gaikwad

Romance

4  

kalpana gaikwad

Romance

यादे

यादे

1 min
363

इक दिन हिसाब करने बैठी, खट्टी मीठी यादों का

दिन महीने सदियों और पलों का

तो कुछ हसीन कुछ गमगीन पलों की

इक पोटली निकली


पोटली खोल मैंने बिखरा दिए सब लम्हें

हर लम्हे पर नजर गढ़ाये

टकटकी लगाए अपलक निहारती रही

लम्हे जो मेरे तुम्हारे कुछ


बडे गमगीन थे कुछ बड़े हसीन थे

कुछ पूरे कुछ अधूरे कुछ धुँधलके

कुछ में सब कुछ ,कुछ में तन्हा

कुछ जाने पहचाने चेहरे


लेकिन वो चेहरा जिसे मैं हरपल

देखना चाहूँ कहीं खो गया हैं

जानती हूँ उसे अब कभी ना देख पाऊंगी

उससे मिलने उसके पास इक दिन जरूर जाऊँगी।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance