ये भी एक दुनिया हैं
ये भी एक दुनिया हैं
भैया
छोटे हो तुम बहुत छोटे
पर जानते हो तुम्हारे छोटे से सिर में
मौजूद हैं एक अखिल ब्रह्मांड
जिसमें क्षमता हैं मोहन से गाँधी बनने की
और हो सकती हैं तुममें
कलाम की सूझबूझ भी !
पर मेरे भैया
घुंघराले बालों में क्यों पनपा रहे हो
जीवन के सुखों को हरने वाली बेशुमार जूं
मैं दृढप्रतिज्ञ हूँ,इन्हें मिटाने के लिए!!
तुम्हें इनसे मुक्त कराना होगा
सिर खुजाने से भी तो बचाना होगा
ताकि जीवन के अनसुलझे प्रश्नों के
कई कई उत्तर हो
तुम्हारे सामने
तभी तो दुनिया के
नक्शे में उभरेगा हमारा गाँव
तब गर्व से बच्चा बच्चा कह उठेगा
"ये भी एक दुनिया हैं"
जो नन्हे भैया
सिर्फ तुम्हारी अपनी होगी !