दर्द छलक जाता हैं
दर्द छलक जाता हैं
तुम संग जबसे प्रीत लगाई
सारी दुनिया हुई हरजाई
जब गठ बंधन उसने जोड़ा हो
तो कैसे कोई तोड़ेगा
जब तक वो ना चाहे!!!!
सात फेरों का ये बंधन
आखिरी साँस तक निभाऊँगी
जहाँ से भी तू पुकारेगा
मैं दौड़ी चली आऊँगी!!!!
जबसे तू हुआ है रुखसत
जबसे निगाह तूने फेरी
कैद करा हैं दर्दे दिल को
मैंने अपने सीने में!!!!!
जब अश्कों के सैलाब से
भर जाता हैं दिल का बर्तन
रोकूँ चाहे जितना भी
दर्द का पैमाना छलक जाता हैं!!!!!!
समझाऊँ कितना इस पागल दिल
को, वो लौटकर कभी ना आयेगा
जिंदगी भर का गम मिला हैं
ये अश्कों में बह जायेगा!!!!!