यादें
यादें
यादें दस्तक देती हैं
लाख कोशिश करती हूँ
फिर भी
मेरे बंद घर में
दरवाजों और खिड़कियों से
तेरी यादें बेधड़क
अंदर घुसने को बेताब
दस्तक देती हैं
जोर जोर से
दरवाजे को
कभी कुंडी को
खटखटाती हैं
कभी दरवाजे की दरारों
को चीर कर
मुझे तक आने का भरसक
प्रयास करती रहती हैं
मैं चाह कर भी उनसे
मुँह मोड़ नहीं पाती हूँ
और बड़े प्यार से तेरी
यादों को
गले लगाने के लिये
दरवाजा खोल देती हूँ
और तेरी मीठी
यादों को बाँहों
में जकड़ लेती हूँ
फिर मैं अपनी
सुध बुध बिसराकर
बस उसकी हो जाती
हूँ और वो मेरी।