STORYMIRROR

kalpana gaikwad

Children Stories

4  

kalpana gaikwad

Children Stories

मजबूर बाप

मजबूर बाप

1 min
239

एक मजबूर बाप ने

अपने दिल के टुकड़े को सौंप दिया

किसी अपने को अमानत के तौर पर

अमानत को समझने लगा

वो खुद के घर का चिराग

अमानत में खयानत वो करने लगा

लालच भी उसका सिर चढ़कर 

बोलने लगा!!!! 


दस्तूर यही

पेड़ से शाखा जुदा हो जाये

शाखा का वजूद पेड़ से हैं जुड़ा

चाहे काटो कितनी बार

बिना पेड़ के जिंदा तो रह ले

लेकिन साँस नहीं ले

पाती हैं!!!!! 


ऐ लालची लकडहारे

कितनी बार जुदा करोगे

कोमल शाखा को तुम काट काट

लेकिन जिस दिन शाखा और

पेड़ का मिलन होगा

समझों उस दिन शाखा

का ,  पुनर्जीवन होगा!!!!!! 


दोनों का अटूट गठबंधन होगा

लकडहारे तेरी चालाकी से भरे

हर वार निष्फल होंगें

देखेगा तू भी शाखा फिर

कोमल कोमल पत्तों के संग फूट पड़ी

खिलखिला और मुस्करा रही हैं अब

क्योंकि शाखा को नवजीवन देने

वाला मिल गया 

उसका ऑक्सीजन!!!!!!! 



Rate this content
Log in