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kalpana gaikwad

Inspirational

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kalpana gaikwad

Inspirational

थैला

थैला

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मैले कुचैले कपड़ों में वो

गन्दी संदी , गंदा सा थैला उठाये,


कभी घर के पिछवाड़े

कभी घर के सामने

कभी कूड़े के ढेर पर,


अक्सर दिख जाती है वो

पॉलीथिन की पन्नी को इकठ्ठा करते हुए

टूटे डिब्बे खाली बॉटल


यही तो हैं उसकी जीविका का साघन

रोज बस निकल पड़ती हैं

थैला उठाये

उम्मीद बस यही करती हैं,


जस तस थैला मेरा भर जाए

भूख पेट की मिट जाए

ना जाने वो बेचारी कितने जतन

पेट की खातिर करती हैं!!


या हम ये भी कह सकते हैं

इंसानों के फैलाये कचरे को वो साफ करती हैं!!


सह सही मायने वो ही

रोज प्रदूषण हरती हैं!!



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