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Poonam Godara

Romance

4.5  

Poonam Godara

Romance

"जी चाहता है"

"जी चाहता है"

1 min
421


इस पतझड़ के मौसम में भी

आज कुछ गुनगुनाने को जी चाहता है 

दर्द है इस दिल में फिर भी

आज मुस्कुरानें को जी चाहता है। 


कभी मैं उड़ना चाहती थी

उस नीले से आसमान में

पर आज तुझ संग कुछ पल

जमीं पे चलने को जी चाहता है। 


कभी दफन कर देती थी

जिन जज्बातों को दिल के किसी कोने में

आज दिल की हर बात

तुझे बयां करने को जी चाहता है। 


कभी भागती थी मैं 

यादों के समंदर से

आज तेरी यादों का

मंजर सजाने को जी चाहता है। 


एक चाहत थी मेरी

 हर डर को जीत लेने की

आज तुझे खोने के डर से

भागने को जी चाहता है। 


कभी घर की चारदीवारियों में

घुटन होती थी मुझे 

पर आज तुझ संग एक खूबसूरत सा

आशियाना सजाने को जी चाहता है। 


ज़िन्दगी के जिस सफर में

अकेले चलने की आदत सी हो गई थी 

उस सफर में आज कुछ कदम

तेरे साथ चलने को जी चाहता है। 



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