"अपना चौकीदार"
"अपना चौकीदार"
ये मेरी बडी़ सी मुस्कान,
ये मेरे पश्चिमी परिधान,
ये मेरा खुलकर बोलना,
अपने बालों को खुला छोड़ना
खुद के लिए
इशारा लगता है तुम्हें??
मेरा ये जिस्म
अपने बाप का माल लगता है तुम्हें??
मैं चरित्रवान हूँ।
ये बात
कैसे समझाऊँ मै तुम्हें??
अच्छा...
तो मुझे हँसना नहीं चाहिए! है ना
नजरे झुकाकर चलना चाहिए! है ना
तेरी ये गन्दी नजरे जो
इत्मिनान से ताड़ती है मुझे
मुझे इन्हें नजर अंदाज करना चाहिए! है ना
क्या तुम ये सब करते हो??
नहीं ना!
तो फिर मैं क्यों करूं??
अगर तू बेटा हैं ना अपने माँ-बाप का
तो मैं भी बेटी भारत की हूं।
इस मुल्क की हर चीज पर
जितना हक तेरा हैं ना
उतना ही हक
मेरा भी है।
अगर तेरा
दम घुटता है ना
घर की चारदीवारियों में
तो आसमान में उड़ने का सपना
मेरा भी है।
बहुत गुरूर होगा तुझे
अपनी नजरों के घिनौनेपन पर
लेकिन अब से
मैं भी
तेरी आँखों में आँखें
डालकर देखूँगी
और यकीन मान
मेरे दोस्त!
तू मजबूर हो जायेगा
अपनी नजरें
झुकाने के लिए
ये मत सोच कि
अँधेरे के साये में
किसी सुनसान सड़क पर
तू कर ही लेगा
अपने इरादे पूरे
क्यूँ कि....
अगर तू जानवर है ना!
तो जानवर बनना
मुझे भी आता है
बहुत कर ली
दुनिया ने चौकीदारी मेरी
अब अपना चौकीदार बनना
मुझे भी आता है।