तिल वाला अंगूठा से मोबाइल में आर्टिकल लिख रही थी आजकल स्त्रियाँ सेफ नहीं है। तिल वाला अंगूठा से मोबाइल में आर्टिकल लिख रही थी आजकल स्त्रियाँ सेफ नहीं है।
अंत तो निश्चित है तेरा भी मेरा भी फर्क बस वक़्त के फासले का रह जायेगा ! अंत तो निश्चित है तेरा भी मेरा भी फर्क बस वक़्त के फासले का रह जायेगा !
अपने बालों को खुला छोड़ना खुद के लिए इशारा लगता है तुम्हें?? अपने बालों को खुला छोड़ना खुद के लिए इशारा लगता है तुम्हें??
ये वक़्त बेहद नाज़ुक़ है कोरोना का पड़ा इक चाबुक है! ये वक़्त बेहद नाज़ुक़ है कोरोना का पड़ा इक चाबुक है!
हमने भी तो सपने देखे थे इंसानों की तरह पर क्यूँ आज हमें दुनिया देखती है अनजानो की तरह || हमने भी तो सपने देखे थे इंसानों की तरह पर क्यूँ आज हमें दुनिया देखती है अनजा...
कैसा दिवस मना रहे आज किस स्वाधीनता की कर रहे हैं बात। कैसा दिवस मना रहे आज किस स्वाधीनता की कर रहे हैं बात।