एकतरफा इश्क़
एकतरफा इश्क़
एक सवाल कि
सिर्फ वही इतना खास क्यूँ ?
जवाब कहां मिलता हैं
इस सवाल का
बस सुकून मिल जाता है
और यही सुकून
वजह बन जाता है
उसके और खास हो जाने की,
कितना खास होता है न
ये एक तरफा प्यार
न कोई ख़्वाहिश
न मोहब्बत के मुकम्मल हो जाने की उम्मीद
फिर भी प्यार बेइंतहा
और बेमिसाल होता है,
फोन काल हर रोज आता नहीं उसका
पर अनकहा सा इन्तजार
हर पल रहता है,
गुड माँर्निग मैसेज
भी नही आता हर रोज
पर हर सुबह ख्याल
बस उसी का रहता है,
शिकायत कभी होती नहीं
उसकी किसी बात से
पर बाते अनगिनत होती हैं
उसे बयान कर देने को,
आसान कहाँ होता हैं
उसे किसी और की बाँहो में देखना
उसकी डेट प्लान करना,
काश तो होता है न
जब वो अपने महबूब को
बड़ी ही शिद्दत से
देखता है और
इस दरम्यान
मिल जाये नजरें उसकी आप से
तो भीगी पलकों को छुपाकर
मुस्कुरा देना,
कितना मुश्किल होता है न
जब किसी को देखते हो
किसी को प्रपोज करते हुए
तो चेहरा सबसे पहले जेहन में
उसी का आता है
और फिर
एक काश और
उठ खड़ा होता है
कि काश
हम भी ये लम्हा
बिता पाते
उस खास सख्स के साथ
जिसका खास कोई और है
ये दर्द भी
बेमिसाल होता है कि
उसके ख्यालों में
कोई और है
पर फिर भी
न जाने क्यूँ
ये कमबख़्त दिल
हर दुआ में
खुदा से
ये माँग ही लेता है कि
या खुदा उसकी मुहब्बत को
मुकम्मल कर देना ।