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Govind Narayan Sharma

Romance

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Govind Narayan Sharma

Romance

प्रीत का रंग

प्रीत का रंग

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रंगों के त्योहार पर तुम्हें मेरे रंग में रंगना है ,

अबीर-गुलाल केसू तुम्हें मलमल लगाना है!


प्रेम के रंग से नखशिख सराबोर करना है,

ना मत कर प्यारी मेरी प्रीत रंग पगाना है !


हँसी खुशी रूठना मचलना नखरे सब सहुँगा,

तेरे तन पर रंग डारूँगा रूह मेरे रंग में रंगूँगा! 


तेरा मेरा रिश्ता कितना पावन अनुपम होगा,

इंद्रधनुषी रंगी देह मन मेरे रंग में डूबा होगा!


प्यारी राधे प्रीत का ऐसा रंग तुझे लगाऊंगा, 

मलमल के धोये प्रीत रंग छूट नही पायेगा!


काली जुल्फों में चमेली का गजरा सजाऊंगा,

पलको पर तोरी चंदन का अंगराग लगाऊंगा!


लाल रंग से मांग बिन्दी केसर की लगाऊंगा, 

गले में बाहों का आलिंगन हार पहनाऊंगा! 


गोरे गोल कपोल पर गुलाबी रंग चढ़ाऊंगा, 

भर पिचकारी प्रीत की अंगिया भिगोउंगा!


सांसे महके लौंग इलायची बीड़ा खिलाऊंगा,

फिजां सुरभित हो मधुपर्क से नहलाऊंगा!


तिरछी चितवन अंखियन कजरा लगाऊंगा, 

गुलाबी अधरों पर प्रेम प्रीत रंग चढ़ाऊंगा! 


हाथों में तेरे भीनी महक मेहंदी रचाऊंगा, 

गोरी कलाई में हरि हरि चूड़ियां पहनाऊंगा! 



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