सजन मुझे रंग लगाओ
सजन मुझे रंग लगाओ
आओ सजन मुझे रंग लगाओ,
भूल सब रंज अंग लगाओ !
बरसों से हूँ तेरे प्रीत की प्यासी,
क्यों तज दी तुमने प्यारी बांसी!
बहुत तरस चुकी ना तरसाओ,
आओ सजन मुझे रंग लगाओ !
देखो गईया भी तुम्हें बुला रही है,
फाग के गीतरंग भी सुना रही है !
मुरली से रस रंग बरसा जाओ
आओ सजन मुझे रंग लगाओ !
सूनी है गोकुल की गलियाँ,
मुरझाये सब ग्वाल बाल !
भई उदास मेरी पिचकारी,
ढोलक भूल गए अपने ताल।

