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VanyA V@idehi

Romance

4  

VanyA V@idehi

Romance

सजन मुझे रंग लगाओ

सजन मुझे रंग लगाओ

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आओ सजन मुझे रंग लगाओ,

भूल सब रंज अंग लगाओ !


बरसों से हूँ तेरे प्रीत की प्यासी,

क्यों तज दी तुमने प्यारी बांसी!


बहुत तरस चुकी ना तरसाओ,

आओ सजन मुझे रंग लगाओ !


देखो गईया भी तुम्हें बुला रही है,

फाग के गीतरंग भी सुना रही है !


मुरली से रस रंग बरसा जाओ

आओ सजन मुझे रंग लगाओ !


सूनी है गोकुल की गलियाँ, 

मुरझाये सब ग्वाल बाल !


भई उदास मेरी पिचकारी,

ढोलक भूल गए अपने ताल।


 


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