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VanyA V@idehi

Romance

4  

VanyA V@idehi

Romance

प्रेम में डूब गए हम

प्रेम में डूब गए हम

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हम डूब गए थे तुम्हारे अनंत प्रेम में ,

उस वक़्त मैं भूल जाया करती थी कि,

वक्त का है क्या... और ये वक़्त सदा नहीं रहेगा!


बस गए थे तुम मेरे ह्रदय में बेहद गहरे,

एक मनमीत के सदृश प्रेमसिक्त होकर :

फिर प्रेमी से आगे हो गए तुम सबसे बढ़कर!


और फिर मुझे याद रहा किया बस यही कि,

प्रेममय हूँ मैं... मेरी तरह प्रेममय हो तुम भी :

अलग नहीं एक दूसरे से हम दोनों ज़रा भी!


याद रहा वह पेड़ जिसके नीचे कभी हम मिले,

चंदा की अमावस, पूनम की रात में मन मिले :

सूरज की उष्ण तपिश में हमारे कभी तन जले!



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