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Dr Baman Chandra Dixit

Romance

4  

Dr Baman Chandra Dixit

Romance

तेरे रंग में भीग भीग जाऊं

तेरे रंग में भीग भीग जाऊं

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4


मल दो रंग मेरे अंग अंग नाथ

तेरे रंग में ऐसे रंग जाऊं

न रहे कछु मोर संग आपने रंग

तेरे रंग में भीग भीग जाऊं।।


मलो गुलाल गोरे गाल कपाल

मोर होंठ गुलाबी रंग जाए

मधुर छूँअन से तनोवदन मेरी

शिहर शिहर थर जाए

भर जाए पुलक हीरदय दयामय

मैं परम तृप्ति लाभ पाऊं ।।


पिचकारी धार मार बहुत बेजार

चोली चुनरी भीग भीग जावे

धीरे मार रसराज नागर वर

मोर जियरा धक धक होवे

भीगा वदन लागे लाज मोहन

मारे शर्म से मर मर जाऊं।।


तेरे छूँअन को प्यासी मन जैसे

चातक को वारि धारा

तपन को ताके जैसे नलिनी

चांद को जैसे चकोरा,

रंग दो नाथ , रंग अबिर साथ

और धीरज धर न पाऊं।

तेरे रंग में भीग भीग जाऊं।।

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