एक मुलाकात..."उस चाँद के नाम"
एक मुलाकात..."उस चाँद के नाम"
मेरा चाँद
आजकल
कुछ फीका फीका सा
लगता है।
उसकी सख्सियत मे
आजकल
ढूढने लगी हू मैं
अक्स किसी और का
इस बात से
वो अब
शायद बेखबर नही रहता है
तभी तो
मेरे चेहरे की मुस्कान देख
मेरी हँसी की वजह
ढूढता रहता है।
वक्त
दे पाती नही हू मैं
आजकल उसे
तभी तो
कुछ दिनों से
वो मुझसे
कुछ खफा खफा सा रहता है।
बता पाती नही हूँ
दिल के जज्बात उसे
तभी तो
आजकल वो
कुछ रूठा रूठा सा रहता है।
दिल कहता है!
सब बता दूँ उसे
पर फिर
रूक जाने को
दिल करता है।
मेरी जिन्दगी के
हर लम्हें का
हमसफर है वो
तभी तो
>उसे तुझसे
मिलवाने को दिल कहता है।
तू अगर चाहे....
तो
एक मुलाकात
हम साथ करे उससे,
तू
चाँद तारो संग मिलकर
मेरे लिए
एक महफिल सजाना
मै
तेरे लिए
सज संवरकर आंऊगी।
चाँद तारो की
उस महफिल में
जब शिद्दत से देखेगा
तू मुझे
तब पलकों को झुकाकर
मै थोडा़ सा शरमाऊंगी
उस पल
अपने इश्क का
तुम इजहार करना
जीवन के हर मोड़ पर
साथ निभाने का
तुम इकरार करना
मै देखूंगी
तेरे अक्स को
चांद की
उस चांदनी में
तब तू
मेरे हसीन से चेहरे का
दीदार करना
और
फिर हमारी उस
मुलाकात को
तुम चाँद के
नाम करना.....