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DrOm Ratnaker

Romance

4  

DrOm Ratnaker

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वो कब से ख़ामोश बैठी

वो कब से ख़ामोश बैठी

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वो कब से ख़ामोश बैठी, ना जाने क्या सोच रही हैं

सामने हम हैं फिर भी नज़रें कुछ और ढूढ़ रही है।

हम इस फ़रेब में जीते जा रहे हैं

कि कम से कम उनके दिल में तो हैं,

हम उनको अपने रूह में बसा चुके हैं

और वो हैं कि दिमाग से खेले जा रही हैं।


वो कहती हैं कि,

तुम प्यारे बहुत हो, मगर मुझे तुमसे प्यार नही है

उन्हें मुझसे इकरार भी नही और इन्कार भी नही है,

वो जानती हैं,

कि हम उनके बिना नही जी पायेंगे

फिर भी वो किसी और के संग

जीने की ख़्वाब सँजो रही है।


उनकी बातों और हरकतों से कभी-कभी लगता है

कि वो मुझ संग जीना चाहती हैं,

हम उनकी अनकही बातें भी सुन लेते हैं

वो सुनकर भी अन्जान बनी रहती हैं,

हम उनकी यादों की चादर ओढ़े हुए हैं

और वो मेरी यादों से लड़ना सीख रही हैं,


वो कहती हैं,

कि तुम बहुत अच्छे हो, मुझे तुम्हारे तरह चाहिए,

“नादानी की हद तो देखो मेरे सनम की

ये मुझे खोकर मुझ जैसा ढूढ़ रही हैं।”


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