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Dr. Om Prakash Ratnaker

Abstract

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Dr. Om Prakash Ratnaker

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इन्तजार को भी इन्तजार करना पड़ेगा

इन्तजार को भी इन्तजार करना पड़ेगा

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!! इन्तजार को भी इन्तजार करना पड़ेगा !!

जब मैंने उनसे कहा कि,

मैं तो उस वक्त तक इन्तजार कर रहा था

जब तक तू अकेली थी, 

अब भी करता हूँ,

जवाब मिला कि,

तूने इतनी सिद्दत से चाहा ही नहीं

तुमने सिर्फ चाहा प्यार नहीं किया।


मैंने कहा,

मैं तुमसे मोहब्बत करता था ना कि इश्क़

जोर ज़बरदस्ती कैसे करता

इश्क़ तो पागलपन है, 

मैंने तो तुमको दीवानों की तरह चाहा था

इसीलिए तुमको वक्त दिया था सोचने को।


उसने कहा,

तुमने जाने क्यों दिया,

तुमने अधिकार क्यों नहीं दिखाया

क्यों तुमने मेरा हाथ पकड़कर “हा” न कहलवा लिया

क्यों तुमने आज़ादी दी

क्यों तुमने उड़ने दिया।


मैंने कहा,

एक साथ कभी खुशियाँ ना देखी थी,

इसीलिए थोड़ा- थोड़ा पाना चाहा

तुम्हें सोचने का वक्त दिया

और इन्तजार करता रहा,

मगर मुझे क्या पता था

कि इतना इन्तजार करना पड़ेगा

कि इन्तजार को भी इन्तजार करना पड़ेगा।


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