इज़हार-ए-इश्क़
इज़हार-ए-इश्क़
आज एक चाहत है, एक ख्वाहिश है
तुझसे आज दिल की हर बात कह दूं
अपने जेहन के सारे जज़्बात कह दूं...
अब तक छुपा के रक्खा रहा था ,
इस दिल में जो हसरतों का गुबार।
मुद्दतों से जो कहना चाहता था,
सोचता हूं अब वो सारे राज़ कह दूं।
आज फ़िर चुन लूं समंदर से मोती,
आज फ़िर अम्बर से सितारे लाऊं।
भर दूं आज तेरे दामन को खुशियों से
तेरी ज़िन्दगी में इरम की वो बहार लाऊं।
तेरी आंखों से एक ख़्वाब जानम आज देखूं,
तेरे हाथों को हाथों में थामे ताज़ देखूं।
खोया रहूं तेरी नज़र की शुआओं में यूं ही,
जी करता है कि तुझे, बस तुझे मेरे सरताज़ देखूं।
ना जाने प्यार में तेरे हुआ घायल कब से,
शायद! पहली बार तुझसे नज़र मिली तब से।
जी करे मांग लूं, फ़िर एक और दुआ रब से,
मगर, मांगू क्या? जब पा ही लिया तुझे ऐ हमनवां
अब तो हर पल ही करता हूं मैं शुक्रिया रब से।
तेरी जुल्फों की नर्म छाव में खोया रहूं,
तेरी गोद में सर रख कर यूं सोया रहूं।
ऐसे प्यार के मौैसम में तुझ संग झूम के,
तुझे अपनी बाहों में भर के चूम के।
अपने दिल की हर धड़कन पे तेरा नाम लिख दूं,
अपनी हर सांस पे तेरी मुहब्बत का पयाम लिख दूं।
तुझसे बेइंतेहा इश्क़ करने की कसम लेता हूं,
तेरे लिए ये ज़िन्दगी जीने की कसम लेता हूं।
आज एक चाहत है, एक ख्वाहिश है
तुझसे आज दिल की हर बात कह दूं
अपने जेहन के सारे जज़्बात कह दूं...