जिंदगी के किसी मोड़ पे ---
जिंदगी के किसी मोड़ पे ---
जिंदगी के किसी मोड़ पे मिले हम- तुम !
मुलाकात हुई मेरी किसी मुस्कान से !
वहीं से हमारी शरारतों भरा सुकून का सफर जारी है !
जिंदगी के उस मोड़ ने हमें न जाने किस मोड़ पे लाकर खड़ा कर दिया है,
जहाँ से उस मोड़ के अलावे कोई मोड़ ही नहीं कभी महसूस होती !
जिंदगी बदल दी उस मोड़ ने मेरी, उस मोड़ पे उसी मोड़ से !
मिले जब हम तो मालूम हुआ की हमारा जन्म - जन्मांतर का रिश्ता जुड़ा हुआ है !
अधूरी यादें जुड़ी हुई हैं हमारी जो इस जन्म में ईश्वर ने पूरा करने के लिए
एक - दूसरे को एक - दूसरे के लिए बनाकर भेजा है ।
पहचान तो हमारी कब ही हुई थी !
मगर हमारे बीच के फासले उस दिन ही मिटी
जब हमने एक - दूजे के हमसफ़र बनने की फैसला किया !
करीब हम आ गए इतना जितना पेड़ और उसकी पत्तियाँ करीब रहती हैं
जुड़कर हरियाली से हरी - भरी !
जैसे बिन पत्तियों के पेड़ का महत्व ही क्या है ?
ठीक वैसे ही बिन तेरे अब मेरी जिंदगी का अस्तित्व ही क्या है ?
हरियाली आएगी हमारी डाल पे ,हमारी शाखाओं पे उसी समय !
जिस समय दुल्हन बनकर मुस्कान की दस्तक दोगी मेरे दिल के आँगन में
फिर उसी मोड़ की तरह जिस मोड़ पे हमने एक- दूजे को दिल दे दिए थे !
जिंदगी बदली नहीं है मेरी ! बस तेरे आने से जीने का बदला है नजरिया।
एक तुम ही तो मेरी वजह हो जीने का अब तुम ही मेरे मुस्कान की एकमात्र जरिया ।
जिंदगी के किसी मोड़ पे मिले थे कभी हम-तुम ।
साथ हमेशा यूं ही बना रहें बस यही दुआ है ,यही जीने का बचा जुनून!

