STORYMIRROR

Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021

Romance

4  

Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021

Romance

“ प्यार के रोग का मैं शिकार हो गया”

“ प्यार के रोग का मैं शिकार हो गया”

2 mins
366

तुम्हारी नज़र से नज़र जब मिली तो,होश मेरे खो गए मैं बेकाबू हो गया !

दिल्लगी की बातें ना समझना सनम ,प्यार के रोग का मैं शिकार हो गया !!

तुम्हारी नज़र से नज़र जब मिली तो,होश मेरे खो गए मैं बेकाबू हो गया !

दिल्लगी की बातें ना समझना सनम ,प्यार के रोग का मैं शिकार हो गया !!

तुम्हें क्या पता हैं,मेरे दिल से पूछो !मेरा हाल क्या है,जरा तुम भी सोचो!!

तुम्हें क्या पता हैं,मेरे दिल से पूछो !मेरा हाल क्या है,जरा तुम भी सोचो!!

रहूँगा नहीं तुमको अब देखे बिना ही ,मेरे रोग का ना जाने क्या हो गया !

दिल्लगी की बातें ना समझना सनम ,प्यार के रोग का शिकार बन गया !!

जग से मैं क्यूँ ,डर के जीने लगा !अब तो जिंदगी में ,प्यार करने लगा !!

जग से मैं क्यूँ ,डर के जीने लगा !अब तो जिंदगी में ,प्यार करने लगा !!

इश्क का बुखार सर चढ़ गया है यहाँ,उपचार तो मिलन का योग बन गया !

दिल्लगी की बातें ना समझना सनम ,प्यार के रोग का मैं शिकार हो गया !!

अब तो मुझे कुछ ,न नजर आ रहा है !तेरी यादों में दिल ,बैठा जा रहा है !!

अब तो मुझे कुछ ,न नजर आ रहा है !तेरी यादों में दिल ,बैठा जा रहा है !!

करूँ क्या जतन इतना मुझको बता देइलाज करते करते रोगी खुद बन गया

दिल्लगी की बातें ना समझना सनम ,प्यार के रोग का मैं शिकार हो गया !!

तुम्हारी नज़र से नज़र जब मिली तो,होश मेरे खो गए मैं बेकाबू हो गया !

दिल्लगी की बातें ना समझना सनम ,प्यार के रोग का मैं शिकार हो गया !!



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance