जोड़
जोड़
चलो चलें,एक रंग, रूप ,एक प्रेम भाव से सबको जोड़ें,
समरस,सद्भाव, नैतिक बल के दीर्घकाल से सबको जोड़ें।
गुण-दोष रहित आकार बनाकर, नव चेतना साकार बनाकर,
अद्भुत तरंग का वास बनाकर, चित्त के रंगों का आकाश बनाकर,
वाणी, भाषा, परिधान बनाकर, सपनों को साकार बनाकर,
मानवता की अपनी बोली, सहिष्णुता का अपना राग,
मिलजुलकर एक भाव में रहकर, निष्ठुरता का करके त्याग,
चलो चलें, एक रंग, रूप, एक प्रेम भाव से सबको जोड़ें,
समरस ,सद्भाव, नैतिक बल के दीर्घकाल से सबको जोड़ें।
