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Madhu Gupta "अपराजिता"

Romance Tragedy Fantasy

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Madhu Gupta "अपराजिता"

Romance Tragedy Fantasy

ग़ज़ल

ग़ज़ल

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मोहब्बत के नाम से अब यह दिल घबरा सा जाता है। 

तड़प उठता हर इक आँसू आंख से अंगारा बरसता है।। 


अपने चारों तरफ़ मुझको अंधेरा ही अंधेरा नज़र आता है।

लेता है जब कोई मोहब्बत का नाम मेरे होंठों से बस आह निकलता है।। 


सिसकियां है दबी होंठों के बीच अब तो किसी की बेवफाई में। 

मग़र ये दिल है कि उसकी याद में तड़पता ही जाता है।। 


संभालो अब हमें कोई कि अब कोई आस का न दीप नज़र आता है। 

तन्हाइयों की चादर में यह बदन दिन रात मिरा लिपटा सा रहता है।। 


ज़माना घूम कर देखा नज़र अब वो मुझको ना कहीं आता है। 

मग़र दिल है जिद्दी जो हर पल कहता है वो तेरे अंदर सांसों का दरिया बहाता है।।



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