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संजय असवाल "नूतन"

Abstract Fantasy Others

4.5  

संजय असवाल "नूतन"

Abstract Fantasy Others

बारिश की बूंदें और दिल

बारिश की बूंदें और दिल

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दबी दबी सी आरजू 

फिर दिल में उबरने लगी है

बारिश की बूंदों में 

मिश्री सी घुलने लगी है।

माटी की सोंधी खुशबू 

यादों को सहलाने लगी है

रिमझिम रिमझिम बारिश में 

दिल को बहलाने लगी है।

हर तरफ एक मीठा सा

अहसास दिल में छाने लगा है 

आंखों में सुनहरी यादों का

अक्स नजर आने लगा है।

भीगी जुल्फों से उनके 

ज्यों मोतियां टपकने लगी हैं 

दिल में हमारे भी कुछ

सरगम सी बजने लगी हैं।

कुछ धुंधले कुछ पुराने से 

किस्से याद आने लगते हैं 

सतरंगी छटा में गीत अधूरे

होंठों में गुनगुनाने लगे हैं।

खामोश मन में भावनाओं के 

ज्वार उमड़ने लगते हैं 

बारिश की बूंदों संग

झूम झूम के नाचने लगते हैं।

फिज़ा रंगीन हो जाती है

ख्वाहिशें अंगड़ाई लेने लगती हैं 

तेरे ख्यालों में रहकर अब

चाहतें फिर से जगने लगती हैं।

बारिश की बूंदों संग चलो, 

एक नई कहानी लिखते हैं 

इस टूटे बिखरे दिल की 

एक नई रवानी लिखते हैं।


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