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Mukesh Kumar Sonkar

Abstract Fantasy Inspirational

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Mukesh Kumar Sonkar

Abstract Fantasy Inspirational

सावन

सावन

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सावन मास घटा घनघोर 

सावन मास घटा घनघोर।

गरजे बरसे मेघ चहूँ ओर।

उमड़ उमड़ कर काले बादल।

जन मन को करते पागल।

सावन मास की छटा निराली।

मादक मोहक और मतवाली।

छाई हरियाली चारों ओर।

सावन मास घटा घनघोर......

नदी नाले सब हुए लबालब।

प्रकृति को थी इसकी तलब।

बागों में पुष्प लताएं छाने लगीं।

सुंदर सुगंधित पवन बहाने लगीं।

आसमान में है बिजली कड़कती।

जनमन के तन मन को फड़काती।

सावन मास की सुंदरता देख।

मधुर मिलन को हुए अविवेक।

अनुपम यह ऋतु आई चहूँ ओर।

सावन मास घटा घनघोर...... 

रिमझिम बारिश देख मेंढक टर्राए।

मोर भी पंख खोले नाचें झूमें गाएं।

काले बादल नभ में घिर आए।

सावन के झूले बाग बगीचों में लहराए।

कलरव करते पक्षी सुमधुर गीत सुनाएं।

कल कल बहते नदी नाले हो गए गुलज़ार।

चारों ओर फैली प्रकृति की मदमस्त बहार।

मिट्टी की खुशबू लिए पवन बहती चहूँ ओर।

सावन मास घटा घनघोर......



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