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Mukesh Kumar Sonkar

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Mukesh Kumar Sonkar

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बसंत पंचमी

बसंत पंचमी

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आ गए ऋतुराज बसंत चहुं ओर फैल रही स्वर्णिम आभा,

सुंदर प्राकृतिक छटा में खिली पीले पुष्पों की स्वर्ण प्रभा।

मां शारदे की पूजा का पावन अवसर है इसमें आता,

ज्ञानदायिनी देवी की कृपा से जगत उजियारा पाता।

बसंत ऋतु आते ही सुंदर सुरम्य वातावरण हुआ,

ठंडी पवन की छुअन से मन मस्तिष्क प्रसन्न हुआ।

इस ऋतु की सुंदरता में प्रेमीजन भी हर्षित हो जाते,

मधुर मिलन की आस प्यास में सुमधुर गीत संगीत गाते।

सुंदर सुगंधित फूलों की खुशबू से महक उठा जग सारा,

रंग बिरंगी तितलियों और चिड़ियों से भरा बगीचा प्यारा।

बसंत ऋतु में प्रकृति अपनी अनुपम छटा है दिखलाती,

धरती मां को सुंदर हरियाली और पुष्पों की चादर ओढ़ाती।

बसंत ऋतु की सुरम्यता सबके मन को भाती,

प्रकृति अपनी स्वर्णिम आभा से सबको हर्षाती।

बसंत के आ जाने से जीव जगत सब खिल उठे,

सम्पूर्ण जगत के अंतर्मन में हर्ष उल्लास के गुल फूटे।।


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