हिंदुस्तान की हिंदी
हिंदुस्तान की हिंदी
हिंदी किस की जननी है इन बातों में क्या रखा है ,
हिंदी बस अपनी है इस पर मंथन करना है ,
माथे की बिंदी है हिंदी शृंगार इसी से करना है
हिंदी किस की जननी है इन बातों में क्या रखा है,
हिंदी है कर्णप्रिय बस पुकार इसी से करना है,
हिंदी किस की जननी है इन बातों में क्या रखा है,
हिंदी अपनी अमृत जैसी इसका रसपान करना है,
हिंदी किस की जननी है इन बातों में क्या रखा है ,
हिंदी जोड़ें विश्व भर को ,जुड़ाव इसी से रखना है
हिंदी किस की जननी है इन बातों में क्या रखा है ,
रूप सलोना हिंदी का, बस तन मन में बसा लेना है ,
एक मंदिर के कोने में हिंदी को भी रख लेना है,
जैसे पूजे देवी देवता वैसे हिंदी को पूजने हम,
आज मिलकर हम सब यह ले प्रण,
हिंदी की ज्योत हर घर में जलाएंगे,
अलख जगे हिंदी की ऐसी,
एक दिन मेरा हिंदुस्तान सिर्फ और सिर्फ
हिंदी भाषी देश कहलाएगा ,
फिर चमकेगी हिंदी की गरिमा ,
हर देश किसे अपना आएगा ,
हिंदी है अपनी सरल इतनी ,
हर कोई इसमें गले लगाएगा
एक दिन हिंदुस्तान हमारा विश्व में हिंदी का परचम लहराएगा